Wednesday, 12 June 2013

शुरुआत

आबो हवा बदलें इस शहर की चलो यारों

मुस्कुराएं देख के अजनबियों को, 

दोस्ती दुश्मनों से भी करें यारों 

सुने क्या कहता है राह पर सोता मुफ़लिस 

दो बात सुनें उसकी, कुछ अपनी भी कहें यारों 

भागे कहाँ जा रहे हैं हम, क्या ढूँढ़ते हैं रात दिन,

इक पल के लिए ठहरें, कुछ सांस तो भरें यारों 

क्या मिलेगा दिल में छिपा के रंज इतने,

कब जाना है यहाँ से, किसको है ये खबर यारों 

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